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     नई दिल्‍ली। 

    सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए आईएनएक्स मीडिया मामले (INX Media Case) में कांग्रेस नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को जमानत दे दी है। हालांकि, वह जेल से नहीं रिहा हो पाएंगे, क्‍योंकि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में वह 24 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में हैं। मालूम हो कि INX Media Case में सीबीआई और ईडी ने दो अलग-अलग मामले दर्ज किए थे। 

    सुप्रीम कोर्ट ने एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत देते हुए कहा कि चिदंबरम को जेल से रिहा किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि उन्‍हें किसी अन्य मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया हो। शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि जेल से रिहाई होने के बावजूद पूछताछ के लिए चिदंबरम को उपलब्ध रहना होगा। सीबीआई ने INX Media Case में चिदंबरम को 21 अगस्त को उनके जोरबाग स्थित आवास से गिरफ्तार किया था। 

    ईडी की हिरासत के अलावा सीबीआई द्वारा दर्ज केस में भी चिदंबरम 24 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में हैं। बीते दिनों दिल्‍ली हाई कोर्ट ने सीबीआई द्वारा दर्ज INX Media Case में पूर्व वित्त मंत्री की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद चिदंबरम की ओर से हाई कोर्ट के 30 सितंबर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 18 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।  

    साल 2007 में 305 करोड़ रुपये के विदेशी निवेश को लेकर आईएनएक्स मीडिया समूह पर विदेशी निवेश संबर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी लेने में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। इसके बाद सीबीआई ने 15 मई, 2017 को इस मामले में एफआइआर दर्ज की थी। प्रवर्तन निदेशालय ने भी साल 2017 में ही चिदंबरम के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।  

    INX Media Case में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम समेत 15 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इसमें आरोपियों के तौर पर पीटर मुखर्जी, इंद्राणी मुखर्जी के अलावा कई बड़े अधिकारी शामिल है। मामले में इंद्राणी मुखर्जी ने सरकारी गवाह के रूप में आरोप लगाए थे कि उन्‍होंने चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को सिंगापुर, मॉरिशस, बरमूडा, इंग्लैंड और स्विट्जरलैंड में 50 लाख डॉलर दिए थे।  

    बीते 18 अक्‍टूबर को चिदंबरम की जमानत का विरोध करते हुए सीबीआइ ने कहा था कि जेल से बाहर आने के बाद चिदंबरम गवाहों को डरा-धमका सकते हैं। चिदंबरम के खिलाफ भ्रष्टाचार के इस मामले में जिसकी गवाही मुख्य आधार है, उसे पहले से ही डराया-धमकाया जा रहा था। वह गवाह जानता है कि इस मामले में भ्रष्टाचार को किस तरह अंजाम दिया गया। इस वजह से ही चार्जशीट में उस गवाह की पहचान उजागर नहीं की गई है। 

    बीते 18 अक्‍टूबर को शीर्ष अदालत में सीबीआई के खुलासे से पहले माना जा रहा था कि आइएनएक्स मीडिया की पूर्व प्रमोटर इंद्राणी मुखर्जी की गवाही ही केस में मूल आधार है। सीबीआई ने कहा था कि एफआइपीबी की मंजूरी संबंधी आइएनएक्स मीडिया मामले में तो जांच तो पूरी हो गई है, लेकिन कंपनियों को मिली मंजूरी की जांच चल रही है। एजेंसी ने चिदंबरम के देश छोड़कर भागने की आशंका भी जताई थी। 

     

     

     

     

     

     

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