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    नई दिल्ली /बीजिंग । 

    देश की राजधानी बीते तीन दिन से धुंध और स्मॉग की चपेट में है। खराब एयर क्वालिटी को देखते हुए दिल्ली में रविवार तक स्कूलों की छुट्टी कर दी गई। एक हफ्ते से चीन के बीजिंग शहर में भी कुछ ऐसे ही हालात थे। स्मॉग यानी स्मोक और फॉग का लेवल बढ़ रहा था। खतरनाक पॉल्यूशन लेवल को देखते हुए वहां की एनवॉयरन्मेंट मिनिस्ट्री ने 4 नवंबर को ऑरेंज अलर्ट जारी किया था। अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प बीजिंग दौरे पर आने वाले थे। उनके प्लेन की बुधवार को बीजिंग में साफ आसमान में लैंडिंग हुई। चीनी मीडिया ने दावा किया है कि ट्रम्प के दौरे से पहले इमरजेंसी एक्शन के चलते बीजिंग में पॉल्यूशन 20% तक कम हो गया।

    स्मॉग से निपटने के लिए चीन ने अपनाए ये 4 तरीके

    1.पॉल्यूशन फैलाने वाले प्राइवेट व्हीकल्स की दूसरे शहरों से बीजिंग में एंट्री रोक दी गई। पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर जोर दिया गया।

    2.पॉल्यूशन को ध्यान में रखते हुए करीब 2000 कंस्ट्रक्शन साइट्स की जांच की गई। वहां से डस्ट पार्टिकल्स को कंट्रोल किया गया। 
    3.सीमेंट, स्टील और कोल फर्म्स के प्रोडक्शन पर ही कुछ दिनों के लिए रोक लगा दी गई।
    4.डस्ट पार्टिकल्स का असर कम करने के लिए खास तरह की एंटी स्मॉग गन का इस्तेमाल किया गया। इससे हवा में स्प्रे किया जाता है ताकि डस्ट पार्टिकल्स पानी की बौछारों के साथ जमीन पर आ जाएं।

    दिल्ली में हवा और जहरीली हुई

    - उधर, बुधवार को दिल्ली में पॉल्यूशन लेवल और बढ़ गया। यहां सुबह विजिविलिटी जीरो के आसपास थी। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक, 500 के स्केल पर पॉल्यूशन लेवल 487 रिकॉर्ड हुआ। यह बीमार लोगों के साथ-साथ हेल्दी लोगों के लिए भी काफी खतरनाक है।
    - अगर अगले 48 घंटे में इंडेक्स 500 तक पहुंच गया तो ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में गाड़ियों के लिए ऑड-ईवन फॉर्मूला और कंस्ट्रक्शन पर लोग लगाई जा सकती है।

    दिल्ली में कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी और ट्रकों की एंट्री पर रोक लगी

    - एनवॉयरन्मेंट पॉल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी (EPCA) ने बुधवार शाम दिल्ली में एयर पॉल्यूशन के हालात को ‘सीवियर प्लस’ यानी काफी खतरनाक कैटेगरी का बताया। इसे इमरजेंसी कंडीशन भी कहा जाता है। EPCA ने दिल्ली में सिविल कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन एक्टिविटीज (कंस्ट्रक्शन में तोड़फोड़) पर रोक लगा दी है। इसके अलावा EPCA ने कहा कि है कि ऑड-ईवन स्कीम पर फैसला गुरुवार को लिया जाएगा।

    30 हजार लोगों की जान को खतरा: AIIMS डायरेक्टर

    - दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने राजधानी में छाई धुंध की तुलना 1952 की 'ग्रेट स्मॉग ऑफ लंदन' से की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के हालात लंदन के स्मॉग की तरह साइलेंट किलर जैसे हैं।

    - उन्होंने कहा, ''ओपीडी में आ रहे मरीज सांस लेने में परेशानी, एलर्जी, खांसी और सीने में जलन की शिकायत कर रहे हैं। पॉल्यूशन का इतना खतरनाक लेवल सांस और दिल के मरीजों के लिए जानलेवा है। उनके लिए ये एक साइलेंट किलर की तरह है।''

    - ''दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते पॉल्यूशन को देखते हुए 25 से 30 हजार मरीजों की जान जाने का खतरा पैदा हो गया है। हॉस्पिटल्स में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।पिछले दिनों N95 मास्क और एयर प्यूरिफायर की बिक्री बढ़ी है, लेकिन यह फुल टाइम प्रोटेक्शन नहीं है।''

    - बता दें कि 5 दिसंबर, 1925 को लंदन के आसमान में 4 दिनों तक पीले रंग की धुंध छाई रही थी। ब्रिटिश अखबार द गार्डियन के मुताबिक, इसमें 4000 लोगों की मौत हुई थी।

    केजरीवाल ने हरियाणा-पंजाब के CMs से की अपील

    - दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब और हरियाणा के सीएम से पॉल्यूशन कंट्रोल करने के लिए मदद की अपील की है।

    - उन्होंने बुधवार को हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को इस बारे में लेटर लिखा है। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में खराब एयर क्वालिटी के लिए आसपास के राज्यों में जलाई जाने वाली पराली भी जिम्मेदार है। इसे रोकने के लिए मीटिंग करनी चाहिए।

    PM 2.5 बढ़ने से दिल की बीमारी और कैंसर का खतरा

    पीएम 2.5 हवा में मौजूद ऐसे बेहद माइक्रो पार्टिकल्स हैं, जिनका डायमीटर 25 माइक्रोमीटर से कम होता है। ये नजर नहीं आते, लेकिन सांस के साथ फेफड़ों और हृदय की धमनियों में चले जाते हैं। इससे कैंसर और दिल की बीमारियों का खतरा होता है। एनवॉयरन्मेंट में इनका नॉर्मल लेवल 60 एमजीसीएम होना चाहिए।

     वहीं, पीएम 10 धूल के कणों का मिश्रण होता है। ये शरीर में सीधे नहीं पहुंचते हैं। इनका नॉर्मल लेवल 100 एमजीसीएम होना चाहिए।

    इन 5 वजहों से बढ़ रहा दिल्ली-एनसीआर का पॉल्यूशन लेवल

    1. एग्रीकल्चरल बर्निंग पर नहीं लग रही रोक
    - द एनर्जी रिसोर्सेस एंड इंस्टीट्यूट के एसोसिएट डायरेक्टर सुमित शर्मा ने बताया कि एग्रीकल्चरल बर्निंग पर रोक नहीं लग पा रही है। नवंबर के समय हर साल पंजाब-हरियाणा में क्रॉप बर्निंग देखी जा रही है।

    2. जरूरत 10 हजार बसों की, हैं सिर्फ तीन हजार
    - दिल्ली में 10 हजार से ज्यादा बसों की जरूरत है। लेकिन सरकार के पास सिर्फ 3 हजार बसें ही हैं। इसलिए लोगों का रुझान प्राइवेट वाहनों की ओर बढ़ रहा है।

    3. दस साल पुरानी तकनीक से हो रही वाहनों की जांच
    - ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की तरफ से जो पीयूसी जारी किया जाता है, उसकी तकनीक 10 साल पुरानी है। इस कारण वाहनों को जारी किए गए सर्टिफिकेट के बावजूद भी उनसे प्रदूषण फैल रहा है।

    4. रोड डस्ट और कंस्ट्रक्शन साइटों से निकलता पॉल्यूशन कंट्रोल में नहीं आ रहा

    - रोड डस्ट और कंस्ट्रक्शन साइटों पर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए वैक्यूम क्लीनिंग मशीनें ज्यादा से ज्यादा खरीदने की जरूरत है। दिल्ली में इन दोनों कारणों से ही 50 प्रतिशत से ज्यादा प्रदूषण का स्तर दर्ज हो रहा है। इसे कंट्रोल करने के सरकार को लॉन्ग टर्म प्लान बनाने की जरूरत है।

    5. इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन एनसीआर की आबोहवा को 35% तक खराब कर रहा है

    - पर्यावरणविद् विक्रांत तोंगड़ ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में 20 हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां चल रही हैं। इससे दिल्ली में 35 फीसदी तक पॉल्यूशन बढ़ रहा है। इमरजेंसी की नौबत आने के बाद ही दिल्ली में इसकी रोकथाम के लिए प्लानिंग की जाती है।

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