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संयुक्त राष्ट्र, एजेंसी ।
भारत के दलवीर भंडारी को नीदरलैंड के हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय अदालत में फिर से जज के तौर पर चुन लिया गया है। जस्टिस दलवीर भंडारी को जनरल एसेंबली में 183 मत मिले जबकि सुरक्षा परिषद में जस्टिस भंडारी को सभी 15 मत मिले। भंडारी का मुकाबला ब्रिटेन के उम्मीदवार क्रिस्टोफर ग्रीनवुड से था, लेकिन आखिरी क्षणों में ब्रिटेन ने अपने उम्मीदवार को चुनाव से हटा लिया।
जस्टिस भंडारी की जीत पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी ट्वीट करते हुए लिखा, 'वंदे मातरम- इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत की जीत हुई। जय हिंद'
Vande Matram - India wins election to the International Court of Justice. JaiHind. #ICJ
आपको बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में 15 जज चुने जाने थे जिनमें से 14 जजों का चुनाव हो चुका था। 15वें जज के लिए ब्रिटेन की तरफ से ग्रीनवुड और भारत की ओर से जस्टिस भंडारी उम्मीदवार थे। पहले माना जा रहा था कि सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन ब्रिटिश दावेदार ग्रीनवुड का समर्थन कर सकते हैं।
ब्रिटेन सुरक्षा परिषद का पांचवां स्थायी सदस्य है। लेकिन 12वें और आखिरी राउंड के चुनाव से ठीक पहले संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के स्थायी प्रतिनिधि मैथ्यू राइक्रॉफ्ट ने महासभा और सुरक्षा परिषद के प्रमुखों को खत लिखकर ग्रीनवुड के चुनाव से हटने से जुड़ी जानकारी दी।
जानिए कौन है दलवीर भंडारी
दलवीर भंडारी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश भी थे। उनका जन्म वर्ष 1 अक्टूबर 1947 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ था। दलवीर भंडारी के पिता और दादा राजस्थान बार एसोसिएशन के सदस्य थे।जोधपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय में वकालत की।
वर्ष 1991 में भंडारी वह दिल्ली आ गए और यहां वकालत करने लगे। अक्टूबर 2005 में वो मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। दलवीर भंडारी ने 19 जून 2012 को पहली बार इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के सदस्य की शपथ ली थी। वो सुप्रीम कोर्ट में भी वरिष्ठ न्यायमूर्ति रहे हैं।
पद्मभूषण से सम्मानित है जस्टिस भंडारी
दलवीर भंडारी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में जाने से पहले भारत में विभिन्न अदालतों में 20 वर्ष से अधिक समय तक उच्च पदों पर रह चुके हैं। जस्टिस दलवीर भंडारी को 2014 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।
पहले के 11 दौर के चुनाव में भंडारी को महासभा के करीब दो तिहाई सदस्यों का समर्थन मिला, लेकिन सुरक्षा परिषद में वे ग्रीनवुड के मुकाबले तीन मतों से पीछे थे। 12वें दौर का चुनाव आज होना था और इस चुनाव से पहले ही ब्रिटेन ने अपने कदम खींच लिए।
भंडारी की जीत भारत के लिए अहम
भंडारी की जीत भारत के लिहाज से बेहतरीन है, क्योंकि पाकिस्तान में बंद कुलभूषण जाधव का मामला भी अंतर्राष्ट्रीय अदालत में है। माना जाता है कि ब्रिटेन को डर था कि कहीं भारत ने दो तिहाई मत हासिल कर लिए तो सुरक्षा परिषद के लिए भारत के प्रत्याशी को आईसीजे में निर्वाचित होने से रोकना बहुत मुश्किल होगा। भारत की लोकतांत्रिक तरीके से हुई इस जीत ने वीटो की शक्ति रखने वाले पांच स्थाई सदस्यों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, और अमेरिका पर भारत का दबदबा कायम कर दिया है।
जानिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय(आईसीजे) के बारे में
आईसीजे नीदरलैंड के हेग में स्थित है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के आर्टिकल 93 के मुताबिक युनाईटेड नेशंस के सभी 193 मैंबर्स देश आईसीजे में इंसाफ पाने के हकदार हैं। हालांकि, जो देश यूएन के मेंबर नहीं है वे भी अपील कर सकते हैं। इसमें 15 जज होते हैं जिनका कार्यकाल 9 साल का होता है। हर तीसरे साल 5 नए जज इसमें चुने जाते हैं, दूसरे जज दूसरी बार चुने जा सकते हैं। जिसके लिए जस्टिस भंडारी चुने गए हैं।