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देहरादून।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने 30 नवंबर को जारी अपनी रिपोर्ट में कई खुलासे किए हैं. देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह द्वारा जारी ‘क्राइम इन इंडिया- 2016’ नाम की इस रिपोर्ट में कई ऐसे आंकड़े सामने आए हैं, जो काफी हैरान करने वाले हैं.

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कई राज्यों ने अपराध और अपराधियों पर लगाम कसने की तैयारी भी शुरू कर दी है. मध्यप्रदेश की सरकार ने तो यह रिपोर्ट आने से पहले ही एक बड़ा फैसला ले लिया है. मध्यप्रदेश सरकार ने 12 साल तक की बच्चियों से रेप के मामले में गुनाहगारों को फांसी की सजा का प्रस्ताव कैबिनेट से पास कर दिया है.

क्या है रिपोर्ट में ?

गौरतलब है कि एनसीआरबी की सालाना रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि साल 2015 के मुकाबले 2016 में अपराध का ग्राफ ढाई फीसदी ज्यादा बढ़ा है. रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हुए अपराध में उत्तर प्रदेश सबसे अव्वल है. लेकिन, जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से दिल्ली और केरल यूपी से कहीं आगे हैं.

गौरतलब है कि साल 2016 में देश में आईपीसी के तहत 29 लाख 75 हजार 711 और स्पेशल एंड लोकल लॉ (एसएलएल) के तहत 18 लाख 55 हजार 804 मामले दर्ज हुए हैं.

उत्तर प्रदेश दो लाख 82 हजार 171 मामलों के साथ सबसे ऊपर है, लेकिन क्राइम रेट के हिसाब से यूपी की रैंकिंग देश में 26वें स्थान पर है. क्राइम रेट रेशियो में दिल्ली सबसे ऊपर है. जहां प्रत्येक एक लाख की जनसंख्या पर 974 अपराध होते हैं. जो कि भारत के किसी भी महानगर से कहीं ज्यादा हैं.

उत्तर प्रदेश अव्वल

उत्तर प्रदेश में हत्या और महिलाओं के खिलाफ छेड़छाड़ के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. वहीं बिहार में भी खासकर महिलाओं और दूसरे हत्या के मामलों में काफी तेजी देखने को मिली है.

गौरतलब है कि गृह मंत्रालय की ओर से हर साल यह आंकड़ा जारी किया जाता है. इस बार की रिपोर्ट की खास बात यह है कि पहली बार पिछले तीन साल के मुकाबले हत्या के मामलों में कमी देखने को आई है. इसके बावजूद उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में मर्डर की संख्या में कोई खास कमी नहीं आई है।

 

साल 2016 में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 4 हजार 889 हत्याएं हुई हैं. यह मामला देश में दर्ज कुल मामलों का 16 प्रतिशत से भी ज्यादा है. बिहार की बात करें तो यहां पर भी 2 हजार 581 हत्याएं हुई हैं. जो कि कुल मामले का लगभग 8 प्रतिशत है.

 

2015 की तुलना में 2016 में अगर राज्यों में होने वाले क्राइम की बात करें तो उत्तर प्रदेश ओवर ऑल अपराध के मामले में नंबर वन है. आईपीसी क्राइम का लगभग 10 प्रतिशत मामला इसी राज्य में दर्ज हुआ है. इसके बाद दूसरे नंबर पर मध्यप्रदेश रहा. महाराष्ट्र तीसरे और केरल चौथे नंबर रहा.

 

दंगों का हिसाब किताब

 

देश में अगर दंगाओं की बात करें तो साल 2015 की तुलना में साल 2016 में दंगा की संख्या में 5 प्रतिशत की कमी आई है. देश में जहां 2015 में 65 हजार 255 दंगों के मामले दर्ज हुए थे तो वहीं 2016 में 61 हजार 974 मामले ही सामने आए हैं.

 

एनसीआरबी रिपोर्ट में अगर महिलाओं की बात करें तो बीते साल देश में महिलाओं के खिलाफ तीन लाख 38 हजार 954 मामले सामने आए हैं. सबसे ज्यादा 49 हजार 262 मामले यूपी में दर्ज हुए हैं. यह कुल मामलों का 14.5 प्रतिशत है.

 

पश्चिम बंगाल में ऐसे मामलों की संख्या 32,513 रही जो कि राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज मामलों का 9.6 प्रतिशत है. हालांकि, क्राइम रेट के आधार पर दिल्ली में महिलाओं के साथ अपराध सबसे ज्यादा हुए हैं.

 

अगर बात हम बात करते हैं बच्चों के साथ होने वाले अपराध की तो यूपी बच्चों के साथ अपराध और अपहरण की घटनाओं को लेकर भी सबसे ऊपर है. यूपी में बच्चों के अपहरण और बंधक बनाए जाने के 9 हजार 657 मामले सामने आए हैं. यूपी के बाद बच्चों के खिलाफ हुए अपराध में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश का नंबर आता है.

 

इस रिपोर्ट की सबसे खास बात यह है कि देश की महिलाएं घर के अंदर हों या बाहर कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं. साल 2016 में 3 लाख 39 हजार 457 मामले महिलाओं के खिलाफ हुए.

 

महिलाओं के साथ वारदात के आंकड़े 

 

सबसे हैरान करने वाली बात यह सामने आई है कि महिलाओं के साथ होने वाली हर तीसरी वारदात पति ने या फिर नजदीक के किसी रिश्तेदार ने किया है. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में महिलाओं के साथ रेप के सबसे ज्यादा मामले मध्यप्रदेश में रहे. इस दौरान 4 हजार 882 महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया. यह संख्या किसी भी राज्य की तुलना में ज्यादा है. दूसरा नंबर उत्तर प्रदेश का आता है. यहां पर 4,816 महिलाओं के साथ रेप के मामले सामने आए हैं. 4,189 मामलों के साथ तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र है.

 

महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में सबसे अधिक केस पश्चिम बंगाल में दर्ज हुए हैं. उत्तर प्।

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