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नई दिल्ली। 

रेलवे महिलाओं पर मेहरबान हो गई है। दो स्टेशनों पर सभी महिला कर्मचारियों की तैनाती तथा महिलाओं के लिए गरीब रथ में भी आरक्षण कोटा तय करने के बाद अब अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर वो ऐसी पहली ट्रेन चलाने जा रही है जिसके सभी डिब्बों में यात्रियों के टिकट जांचने के लिए महिला टीटीई तैनात होंगी।

ये ट्रेन आठ मार्च को मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलेगी। यही नहीं, महिला दिवस पर शुरू होने वाले इस अभियान के तहत आने वाले समय में देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर महिलाओं की सहूलियत के लिए सेनिटरी नेपकिन डिस्ट्रायर मशीने लगाने की रेलवे की योजना है। अभी ट्रेन में सफर के दौरान महिलाओं को सेनिटरी पैड के डिस्पोजल में दिक्कत महसूस होती है। इनके डिस्पोजल का उचित इंतजाम न होने से महिलाएं अक्सर टायलेट में इन्हें डाल देती हैं अथवा खिड़की से बाहर फेंक देती हैं।

चूंकि अब ज्यादातर ट्रेनो में बायो टायलेट लग चुके हैं लिहाजा सेनिटरी पैड डाले जाने के कारण ये टायलेट जाम हो जाते हैं। इसी तरह बाहर फेंके गए सेनिटरी पैड ट्रैक को गंदा करने के अलावा प्रदूषण और बीमारी फैलाते हैं। स्टेशनों पर सेनिटरी पैड डिस्ट्रायर लगाए जाने के बाद इस समस्या का अंत होने की उम्मीद है। रेलवे की इस पहल से स्वच्छ भारत अभियान में भी मदद मिलेगी। 

पिछले कुछ समय में रेलवे ने महिलाओं की सहूलियत के लिहाज से अनेक कदम उठाए हैं। इनमें सबसे हालिया कदम गरीब रथ ट्रेनों के हर कोच में 45 वर्ष से अधिक उम्र की अथवा गर्भवती महिलाओं के लिए आरक्षित करने का है। इससे पहले महिलाओं को यह सुविधा केवल मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के स्लीपर क्लास में वरिष्ठ नागरिकों के साथ संयुक्त रूप से तथा थर्ड व सेकंड एसी क्लास में तीन-तीन लोअर बर्थों के कोटे के रूप में उपलब्ध था। राजधानी, दूरंतो तथा पूर्णतया वातानुकूलित ट्रेनों के प्रत्येक थर्ड एसी कोच में महिलाओं को चार-चार लोअर बर्थ अथवा सीट का कोटा प्राप्त है।

यही नहीं, पिछले दिनो मुंबई में माटुंगा उपनगरीय स्टेशन तथा जयपुर में गांधीनगर स्टेशन को पूर्णतया महिला कर्मचारियों वाले स्टेशन होने का गौरव प्राप्त हुआ है।

 

माटुंगा देश का पहला ‘लेडीज स्पेशल’ स्टेशन 

महिलाओं को सशक्त बनाने की ओर एक कदम और बढ़ाते हुए मध्य रेलवे ने उपनगर माटुंगा को देश का पहला ‘लेडीज स्पेशल’ स्टेशन बना दिया है। यानी यहां पर सिर्फ महिला कर्मचारी ही तैनात हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, महिलाएं इस स्टेशन पर पिछले दो सप्ताह से अपनी सेवाएं दी रहीं हैं। स्टेशन पर कुल 30 महिला कर्मचारी तैनात हैं। इनमें 11 बुकिंग क्लर्क के पद पर, जबकि पांच आरपीएफ कर्मी और सात टिकट कलक्टर (टीसी) हैं। ये सभी स्टेशन प्रबंधक ममता कुलकर्णी की देखरेख में दो हफ्ते से चौबीसों घंटे रेलवे स्टेशन के सभी परिचालनों को संभाल रही हैं। खास यह है कि ममता ने जब 1992 में मध्य रेलवे में नौकरी शुरू की थी, तब वह मुंबई डिवीजन के किसी रेलवे स्टेशन कीपहली पहली महिला स्टेशन मास्टर थीं।

माटुंगा रेलवे स्टेशन पर अब तैनात है महिला ब्रिगेड। मुस्तैदी से ट्रेन की आवाजाही सुनिश्चित करती हुईं और यात्रियों की हर मुश्किल का ध्यान रखती हुईं। यह देश का पहला लेडीज स्पेशल स्टेशन है। यहां हर किसी की निगाहें ठिठकती जरूर हैं। अपनी जिम्मेदारियों को अंजाम दे रही महिलाएं भी गौरवान्वित हैं। स्वर्णिम इतिहास का हिस्सा बनकर सभी खुश हैं

गांधी नगर स्टेशन में 40 महिलाएं संभालती हैं सारा काम
मौजूदा समय में जयपुर का गांधी नगर पहला गैर उपनगर रेलवे स्टेशन है, जहां पर सभी कार्यो का संचालन महिला कर्मियों द्वारा किया जाता है। वैसे पूरी तरह से महिला कर्मियों द्वारा संचालित किया जाने वाला पहला उपनगर रेलवे स्टेशन मुंबई का मांटुगा है। अपने इस उपलब्धि के लिए उसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिका‌र्ड्स में भी दर्ज किया गया है। गांधी नगर रेलवे स्टेशन को स्टेशन मास्टर से लेकर गेटमैन तक कुल 40 महिलाओं की टीम संभालेगी।

कार्य का विभाजन

कुल 40 महिलाओं में से 4 ट्रेन संचालन का काम देखेंगी, 8 टिकट की बुकिंग का काम देखेंगी और 6 आरक्षण का काम देखेंगी, अन्य 6 टिकट चेकिंग का काम और अनाउंस करने का काम देखेंगी। अन्य 10 आरपीएफ को देखेंगी जबकि अंतिम 6 महिलाएं अन्य छोटे-मोटे काम देखेंगी। जानकारी के मुताबिक, सभी कर्मचारी 8 घंटे के ट्यूटी आवर में तीन शिफ्ट में काम करेंगे। नीलम जाटव गांधी नगर रेलवे स्टेशन की पहली स्टेशन सुपरिटेंडेंट होंगी।

 

 

 

 

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