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    निर्वाचन आयोग राष्ट्रपति चुनावों के लिए विस्तृत कार्यक्रम का पहले ही ऐलान कर चूका है, 28 जून तक नामांकन,17 जुलाई को मतदान और 20 जुलाई को मतगणना होगी ! यानी कि एक महीने से कुछ अधिक समय बाद औपचारिक रूप से देश को नए महामहिम मिल जाएंगे ! 

     देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद का चुनाव बेहद जटिल है, इसमें सीमित संख्या में मतदाता होते जो विधानसभाओं और लोकसभा में निर्वाचित होकर आये जनप्रतिनिधियों के रूप में देश के सभी इलाकों की नुमाइन्दगी करते हैं ! 

    चुनाव को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी के अनुसार 20 जुलाई तक चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न हो जाएगी ! राष्ट्रपति चुनाव के लिए चुनाव आयोग द्धारा तय कार्यक्रम के अनुसार 28 जुलाई को नामांकन पात्र दाखिल करने की अंतिम तिथि है, 29 जून को नामांकन प्रपत्रों की जांच कर 01 जुलाई को नामांकन वापसी हो सकेगी फिर 17 जुलाई को मतदान और 20 जुलाई को मतगणना के साथ ही निर्वाचन प्रक्रिया संपन्न हो जाएगी !

    चुनाव प्रक्रिया के अनुसार रायसिना हिल्स किसका आशियाना बनेगा ये तो 20 जुलाई को ही पता चलेगा लेकिन यदि राजनीतिक गुणा भाग के अनुसार आंकलन करने की बात हो तो 01 जुलाई आते-आते नए महामहिम का नाम स्पष्ट हो जाएगा ! दरअसल भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले NDA और कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष के संयुक्त मोर्चे के बीच सीधी लड़ाई होने की गुंजाईश कम ही नजर आ रही है ! वजह साफ़ है भाजपा की अगुवाई वाला NDA जीत के स्पष्ट आंकड़े के बेहद नजदीक है जबकि विपक्ष अभी तक सभी भाजपा विरोधी दलों को एकजुट तक नहीं कर पाया है ऐसे में लाजमी है कि विपक्ष में भी बिखराव नजर आये !

    राष्ट्रपति चुनावों को लेकर एकदूसरे के धुर विरोधी दोनों राजनीतिक गठबन्धनों में एक अलग तरह का शिष्टाचार नजर आ रहा है, रहतरपति प्रत्याशी के नाम को तय करने के लिए दोनों गठबंधन पहले आप- पहले आप की औपचारिकता का खेल खेल रहे हैं ! चुनाव को लेकर भाजपा की स्पष्ट रणनीति है कि एकजुट विपक्ष चुनाव ही न लड़े और यदि चुनाव लड़ने की नौबत  तो NDA प्रत्याशी के नाम से भी विपक्षी मोर्चे में बिखराव हो जाय ! भाजपा सुप्रीमो अमित शाह ने विपक्षी दलों से बातचीत कर एकराय से राष्ट्रपति चुनने के लिए तीन लोगों की समिति बनाई है जिसमें गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और शहरी विकास मंत्री वैंकया नायडू शामिल हैं ! भाजपा सुप्रीमो की स्पष्ट ताकीद है कि पहले तो हमारा उम्मीदवार ही सर्वसम्मति से निर्विरोध निर्वाचित हो जाय या फिर विपक्षी मोर्चा चुनाव पूर्व बिखर कर भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन की बड़ी जीत का रास्ता साफ़ कर दे !

    विपक्षी मोर्चे में भी चुनाव लड़ने अथवा NDA उम्मीदवार को निर्वाचित होने देने के पक्षधर दो अलग-अलग मत नजर आ रहे हैं, लालू की अगुवाई में मुलायम, ममता, मायावती, और वामपंथी दल चुनाव लड़ने को मुखर हैं तो कांग्रेस,BJD,JDU जैसे दल अभी राजनीतिक घटनक्रम में सॉफ्ट दृष्टिकोण अपनाये हुए हैं ! शिवसेना हालिया तौर पर NDA गठबंधन से बाहर आने को बेताब है लेकिन अंतिम समय में रुख बदल सकती है !

    राष्ट्रपति चुनाव के ऐसे उलझे और जटिल हो चुके राजनीतिक गणित को भाजपा अपने लिए मुफीद और स्पष्ट जीत का आधार मान रही है जो कुल वोटों की संख्या और भाजपा के पास सुरक्षित वोटों की संख्या के हिसाब से सही भी है ! इसीलिए कहना गलत नहीं होगा कि निर्वाचन प्रक्रिया पूर्ण होने से पहले ही देशवासियों के सामने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के उत्तराधिकारी और नए महामहिम का नाम स्पष्ट हो जाएगा !

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