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    गोरखपुर/कुशीनगर। 

    कुशीनगर में मस्जिद में बारूद होने के बाद सुरक्षा एजेंसियाें के भी कान खड़े हो गए हैं। गंभीरता को देखते हुए एटीएस के साथ आइबी व अन्य सुरक्षा एजेंसियां अलग-अलग जानकारी जुटा रहीं हैं। मौलाना अजमुद्दीन उर्फ अजीम से पूछताछ में पता चला है कि अप्रैल महीने में ही विस्फोटक सामग्री बाहर से लाई गई थी। माना जा रहा कि जिससे किसी बड़े मकसद को अंजाम देने की तैयारी थी। बारुद रखने वाले युवकों से हाजी कुतुबुद्दीन ने कहा था कि इससे कुछ बड़ा काम करना है।

    जांच में जुटीं सुरक्षा एजेंसियां

    मस्जिद में बारूद रखने का मकसद क्या था, अब एटीएस सहित दूसरी एजेंसियां इस सवाल का जवाब जानने में जुटीं हैं। मौलाना से पूछताछ में एटीएस को कई अन्य जानकारियां मिलने की भी बात सामने आ रही हैं, लेकिन इसे लेकर सुरक्षा एजेंसियां या पुलिस अफसर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। अब तक की छानबीन में यह बात सामने आई है कि मस्जिद में रखे गए बारूद की मात्रा लगभग आठ से दस किलोग्राम थी। बारूद को जिस कमरे में रखा गया था, उसमें फर्श न होने से उसके नम होने की भी संभावना जताई जा रही है। 

    10 किलोग्राम था बारुद

    एजेंसियां भी यह मान रहीं कि लगभग 10 किलोग्राम बारूद से काफी तबाही मच सकती थी, विस्फोट से अत्यधिक क्षति न होना इस बात की तरफ इशारा कर रहा है, फिलहाल बारूद की तीव्रता की सटीक जानकारी फारेंसिक टीम की रिपोर्ट मिलने के बाद ही होगी। मस्जिद में बारूद रखने का ताना-बाना हाजी कुतुबुद्​दीन व मौलाना अजमुद्​दीन ने बुना था। बारूद रखवाते समय हाजी ने युवकों से कहा था कि जल्द ही बड़ा काम होने वाला है। 

    गिरफ्तार मौलाना समेत चारों आरोपित भेजे गए जेल

    एटीएस, आइबी व एलआइयू की पूछताछ के बाद गिरफ्तार मौलाना अजमुद्दीन उर्फ अजीम, इजहार अंसारी, आशिक अंसारी व जावेद अंसारी को पुलिस ने अदालत में पेश किया। अदालत के आदेश पर सभी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।

    विस्फोट में देश रक्षक की भूमिका

    मस्जिद में विस्फोट मामले में हाजी कुतुबुद्​दीन के नाती अशफाक की भी भूमिका उजागर हुई है। अशफाक व उसकी पत्नी सेना में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत है। उसकी तैनाती इन दिनों हैदराबाद में है। विस्फोट के समय वह गांव में था। विस्फोट के बाद मस्जिद में पहुंचे अशफाक ने तत्काल साफ-सफाई करा दी थी, ताकि असलियत सामने न आ सके। सुरक्षा एजेंसियाें की नजर इस बात पर भी है कि मस्जिद तक बारूद कहीं अशफाक के जरिये तो नहीं लायी गयी थी। उसकी तलाश में पुलिस की एक टीम हैदराबाद भेजी जा रही है।  

    छत की कुंडी से टंगी थी बारूद रखी बोरी

    मस्जिद में बारूद बोरी में रखी गई थी। बोरी मस्जिद के एक कमरे के छत की कुंडी से टांग कर रखी गई थी, ताकि उस पर किसी की नजर न पड़े। बताया जा रहा कि कमरे का फाटक अक्सर बंद रहता था। मौलाना व कुतुबुद्दीन के मिलने पर ही उस कमरे को खोला जाता था।

    इन्होंने रखी मस्जिद में बारूद

    मस्जिद में बारूद की बोरी रखने वालों में चार युवकों की भूमिका सामने आई है। चारों युवक इजहार, आशिक, जावेद व मुन्ना उर्फ रियाजुद्दीन निवासी बैरागीपट्टी के निवासी हैं। हाजी कुतुबुद्दीन के कहने पर युवकों ने बारूद की बोरी मस्जिद में पहुंचाई थी। जहां मौलाना की देख-रेख में उसे मस्जिद में सुरक्षित रख दिया गया।

     पश्चिम बंगाल का रहने वाला है मौलाना

    लगभग एक दशक पूर्व मस्जिद बनकर तैयार हुआ। पांच साल पहले गांव के ही लोनिवि में लिपिक पद पर कार्यरत वर्तमान में सेवानिवृत्त हाजी कुतुबुद्दीन ने मस्जिद में पश्चिम बंगाल निवासी मौलाना अजमुद्​दीन को बुलाया था। मस्जिद के संचालकों द्वारा मौलाना को छह हजार रुपये मासिक भुगतान किया जाता है। 

    यह हुए हैं नामजद

    मौलाना अजीमुद्दीन उर्फ अजीम निवासी डुबकुल दक्षिण शाहपुर थाना गोलपोखर, जिला उत्तरी दिनाजपुर पश्चिम बंगाल। 

    हाजी कुतुबुद्दीन

    अशफाक आलम

    इजहार अंसारी

    अाशिक अंसारी

    जावेद अंसारी

    मुन्ना उर्फ सलाउद्दीन अंसारी निवासी सभी बैरागीपट्टी थाना तुर्कपट्टी।