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Regional Headlines | 20-12-2019
नई दिल्ली।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राष्ट्रपति से मिलने वाले विपक्षी पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल से अलग रहने वाली उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवेसना ने अपनी सफाई दी है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने नागरिकता कानून पर विपक्षी दलों के समूह से अलग रहने को लेकर कहा कि पार्टी के प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने का कोई कारण नहीं था। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि हमें विपक्षी नेताओं के साथ क्यों जाना चाहिए था। यह एक तरह का बेकार सा सवाल था।
58 वर्षीय संजय राउत ने एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि भले ही शिवसेना का महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन हुआ है, मगर दिल्ली में अब भी इसकी अपनी पहचान है। गौरतलब है कि नागरिकता कानून के खिलाफ विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिल चुका है, जिसमें शिवसेना शामिल नहीं थी।
शिवसेना नेता और मुखपत्र सामना के एडिटर संजय राउत ने रेखांकित किया कि शिवसेना कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि हम यूपीए के साथ नहीं है। हम एनडीए से बाहर जरूर हैं, मगर यूपीए के साथ नहीं। संसद में हमारी अपनी पहचान है।
गौरतलब है कि लोकसभा में शिवसेना ने नागरिकता संशोधन बिल के पक्ष में अपना समर्थन दिया था। जबकि कांग्रेस ने इसका विरोध तब से किया है, जब चार साल पहले यानी 2015 में मोदी सरकार संसद में इसका प्रस्ताव लेकर आई थी। हालांकि, नागरिकता संशोधन बिल पर राज्यसभा में वोटिंग के दौरान शिवसेना ने वॉकआउट किया था।
बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल चुकी है और अब यह कानून बन चुका है, जिसके खिलाफ में देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं। कानून बन जाने से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित माइग्रेंट्स को भारत की नागरिकता मिल सकती है। कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिलकर इस कानून को वापस लेने की गुहार लगा चुका है। इस प्रतिनिधिमंडल में शिवसेना शामिल नहीं हुई थी।