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    नई दिल्ली। 

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कार पाने वाले बच्चों से मुलाकात की। इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि ये सारे अवॉर्ड्स आखिरी मुकाम नहीं हैं, यह एक प्रकार से जिंदगी की शुरुआत है। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इन बच्चों को विभिन्न क्षेत्रों में पुरस्कार दे चुके हैं। 

    पीएम मोदी ने कहा कि आप सभी का परिचय जब हो रहा था, तो मैं सच में हैरान था। इतनी कम आयु में जिस प्रकार आप सभी ने अलग-अलग क्षेत्रों में जो प्रयास किए, जो काम किया है, वो अदभुत है। इतनी कम आयु में जिस प्रकार आप सभी ने अलग-अलग क्षेत्रों में कुछ करके दिखाया है, उसके बाद आपको और कुछ अच्छा करने की इच्छा होगी। एक प्रकार से ये जिंदगी की शुरुआत है। आपने मुश्किल परिस्थितियों में साहस दिखाया, किसी ने अलग-अलग क्षेत्रों नें उपलब्धियां प्राप्त की हैं।

    ANI
     
    @ANI
     
     

    Delhi: Prime Minister Narendra Modi interacts with recipients of Rashtriya Bal Puraskar 2020.

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    पुलिस के प्रति होना चाहिए आदर का भाव

    प्रधानमंत्री नरेंदे मोदी ने छात्रों को बताया कि आजादी के बाद इस देश में 33 हजार पुलिस के जवान हम लोगों की सुरक्षा के लिए शहीद हुए हैं। उस पुलिस के प्रति आदर का भाव बनना चाहिए। इससे समाज में एक बदलाव शुरु हो जाएगा। आप सभी को पुलिस मेमोरियल देखने जरूर जाना चाहिए।

     

    आपसे मुझे भी प्रेरणा मिलती है

    पीएम ने कहा कि आप सब कहने को तो बहुत छोटी आयु के हैं, लेकिन आपने जो काम किया है उसको करने की बात तो छोड़ दीजिए, उसे सोचने में भी बड़े-बड़े लोगों के पसीने छूट जाते हैं। आप युवा साथियों के साहसिक कार्यों के बार में जब भी मैं सुनता हूं तो मुझे भी प्रेरणा मिलती है। आप जैसे बच्चों के भीतर छिपी प्रतिभा को प्रोत्साहित करने के लिए ही इन राष्ट्रीय पुरस्कारों का दायरा बढ़ाया गया है। 

    मुलाकात से पहले बच्चों ने क्या कहा?

    पीएम मोदी से मुलाकात करने से पहले पश्चिम बंगाल की राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता सुक्रिती ने कहा कि इन पुरस्कारों के माध्यम से भारत के प्रधानमंत्री देश के युवाओं को सशक्त बना रहे हैं। मुझे यह पुरस्कार सामाजिक सेवाओं के लिए दिया गया है। वहीं पुरस्कार पाने वाले एक अन्य बच्चे हृदयेश्वर सिंह ने कहा कि उन्होंने पीएम मोदी से सीखा है कि अगर देश हमें कुछ दे रहा है तो देश को भी हमें कुछ देना चाहिए। 

    1957 में हुई थी शुरुआत

    हर वर्ष गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी के पहले वीर बच्‍चों को सम्‍मानित किया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1957 में भारतीय बाल कल्याण परिषद ने की थी। इस सम्‍मान के तौर पर एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। इस पुरस्‍कार के तहत सामान्य सम्मान भी दिया जाता है। इसके अंतर्गत प्रत्येक को 20-20 हजार रुपये की राशि प्रदान की जाती है। 

     

     

     

     

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