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    नई दिल्ली। 

    भीमा कोरेगांव मामले को लेकर एक बार फिर महाराष्ट्र सरकार में रार सामने आई है। महाराष्ट्र अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता नवाब मलिक ने कहा है कि राज्य सरकार एसआईटी के जरिए इस मामले की समानांतर जांच कराएगी। एसआईटी के गठन पर हमारा गृह मंत्री जल्द ही फैसला करेगा। वहीं इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि एल्गार परिषद (भीमा कोरेगांव) मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा अपने हाथ में लेने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। इस पर शरद पवार ने कहा था कि केन्द्र का इस तरह से राज्य के हाथों से जांच लेना केंद्र गलत है और महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनके फैसले का समर्थन करना भी गलत है।

    ANI
     
    @ANI
     
     

    Nawab Malik, Maharashtra Minority Affairs Minister & Nationalist Congress Party (NCP) leader: State government will carry out a parallel enquiry in Bhima Koregaon case through SIT...Our Home Minister will make a decision soon, over forming the SIT.

     

    जानें क्या कहा था शरद पवार ने 
    भीमा कोरेगांव मामले की जांच पुणे पुलिस से एनआईए को हस्तांतरित करने पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस में कुछ लोगों का व्यवहार (भीमा कोरेगांव जांच में शामिल) आपत्तिजनक था। मैं चाहता था कि इन अधिकारियों की भूमिका की जांच हो। उन्होंने कहा कि सुबह में पुलिस अधिकारियों के साथ महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों की बैठक हुई थी और दोपहर 3 बजे केंद्र ने मामले को एनआईए को हस्तांतरित करने का आदेश दिया। यह संविधान के अनुसार गलत है, क्योंकि अपराध की जांच राज्य का अधिकार क्षेत्र है।

    क्या कहा था महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने
    महाराष्ट्र के गृह मंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख ने कहा था कि वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंजूरी देने के लिए अपनी विवेकाधीन शक्तियों का इस्तेमाल किया। देशमुख ने कहा था कि अभी भी इस बात से सहमत हैं कि एनआईए को जांच सौंपने से पहले केंद्र को राज्य सरकार को विश्वास में लेना चाहिए था। उन्होंने कहा था कि हमने पिछली सुनवाई में पुणे सत्र न्यायालय में यह स्पष्ट किया था। हालांकि, हमारे निर्णय को मुख्यमंत्री ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए बदल दिया। महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनने के कुछ समय बाद ही शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर इस मामले में एसआईटी से जांच कराने की मांग की थी।