पेय: हिमालय में क्या पीना चाहिए और क्यों
पहाड़ों की ठंडी सुबह में एक कप सही पेय पूरा दिन बदल देता है। यहां हम सीधे बताएँगे कि हिमालय में कौन‑से पेय लोकप्रिय हैं, उनके स्वाद और सेहत पर क्या असर है, और यात्रा करते समय कौन‑सा पेय चुनना समझदारी है। बिना फालतू बात के, काम की जानकारी चाहिए तो आगे पढ़िए।
लोकप्रिय हिमालयी पेय और उनके स्वाद
कहवा (Kahwa): कश्मीर की कहवा केसर, दालचीनी और बादाम के साथ बनती है। यह ठंड में शरीर को गर्म रखती है और पाचन में मदद करती है। अगर आप हल्का मेठा और मसालेदार कुछ चाहते हैं तो कहवा अच्छा विकल्प है।
बटर टी (टिबेटियन मक्खन चाय): तिब्बत और लद्दाख में यह परंपरा है। नमकीन मक्खन चाय ऊँचाई पर ऊर्जा देती है और ठंड से लड़ने में मदद करती है। स्वाद नए यात्रियों को अनोखा लगेगा—थोड़ा नमकीन और मलाईदार।
लस्सी और मठ्ठा: हिमाचल और उत्तराखंड के गाँवों में ताज़ी दही से बनी मीठी या नमकीन लस्सी मिलती है। गर्मियों में यह जल्दी ठंडक देती है और पेट को आराम पहुंचाती है। मठ्ठा (छाछ) हल्का होता है और खाना के साथ अच्छा लगता है।
हर्बल और जड़ी‑बूटी चाय: ऊँचे पहाड़ों में स्थानीय जड़ी‑बूटियाँ मिलती हैं—तुलसी, अदरक, मुलेठी आदि से बनी चाय सर्दी‑खांसी और पेट के लिए लाभकारी होती हैं।
किसे कब चुनें — आसान टिप्स
ठंडी सुबह/शाम: गर्म कहवा या बटर टी चुनें — दोनों शरीर को जल्दी गर्म करते हैं।
ऊँचाई पर थकान या कम ऑक्सीजन: बटर टी और हल्की मिठास वाली लस्सी ऊर्जा और कैलोरी देते हैं।
अगर पेट नाजुक हो: उबलकर बनी हर्बल चाय और मठ्ठा बेहतर हैं—कच्चा दूध न लें जब तक भरोसा न हो।
सफर पर: अपना छोटा थर्मस रखें। सड़क‑यात्रा या ट्रेक में गर्म पेय तुरंत मिलने की गारंटी नहीं रहती, थर्मस से बचाव रहेगा।
एक छोटी सलाह: लोकल से पूछें कि पेय कैसे बना है—कभी‑कभी पानी उबला नहीं होता या दूध कच्चा होता है, तो सावधानी रखें। अगर आप शराब से बचते हैं तो स्थानीय फर्मेंटेड ड्रिंक्स के बारे में पहले जानकारी लें।
हिमालय के पेय सिर्फ स्वाद नहीं देते—वे संस्कृति और मौसम से जुड़े अनुभव भी देते हैं। अगली बार पहाड़ जा रहे हों तो ऊपर बताये पेयों में से एक ट्राई करें और अपने अनुभव के साथ लौटें। हिमालय समाचार पर 'पेय' टैग में स्थानीय कहानियाँ, रेसिपी और टिप्स मिलती रहेंगी।