img

Breaking News

     

    नई दिल्ली !

    पीएचडी की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर नीरा बख्शी पिछले पांच साल से दिल्ली एनसीआर में रामलीला का निर्देशन कर रही हैं। उन्होंने बताया कि थियेटर के प्रति उनका आकर्षण बहुत ज्यादा था। वह पीएचडी जरूर कर रहीं थी, लेकिन उनका मन थियेटर में ही पड़ा रहता था। इसीलिए उन्होंने पीएचडी की पढ़ाई बीच में छोड़ दी। 

    सुल्लामल रामलीला समिति घंटाघर में रामलीला का मंचन करा रहीं नीरा बख्शी मूल रुप से जम्मू की रहने वाली हैं। इन दिनों वह परिवार के साथ दिल्ली में रह रही हैं। पांच साल पहले यानि वर्ष-2014 में उन्होंने पीएचडी की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। इसके बाद पिछले पांच साल से दिल्ली एनसीआर में अलग-अलग शहरों में रामलीला का मंचन करा रही हैं। उनकी मां शिक्षक हैं। उनकी माता ने इस कार्य में हमेशा सहयोग किया। कभी भी किसी भी चीज की कमी नहीं होने दी। यही कारण है कि उन्होंने अपने दिल की सुनी और जिस काम में रुचि थी उसी काम में सफल हैं। वह अपने साथ-साथ अपने परिवार का खर्चा भी स्वयं ही चलाती हैं। अपने भाई को उन्होंने अपनी कमाई से ही पढ़ाया है और वह आज इंजीनियर है। 

    रेडियो और टीवी से भी जुड़ी हैं

    नीरा बख्शी ऑल इंडिया रेडियों में एनाउंसर और प्रस्तुतकर्ता के तौर पर भी काम करती है। उन्होंने बताया कि पिछले आठ साल से वह रेडियो में काम कर रही हैं। इसके अलावा वह शोर्ट फिल्म और कॉमर्शियल विज्ञापन के लिए भी काम करती हैं। इसके अलावा उनकी पूरी टीम भी कहीं न कहीं थियेटर से जुड़े हुए है। टीम में सभी अनुभवी कलाकारों को रखा गया है। 

    121 साल में पहली बार महिला निर्देशक के हाथ में कमान

    सुल्लामल रामलीला समिति घंटाघर की ओर से पिछले 121 सालों से रामलीला का मंचन किया जा रहा है, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई महिला निर्देशक रामलीला का मंचन करा रही है। समिति के मीडिया प्रभारी का कहना है समिति के पुराने लोग बताते हैं कि इतने वर्षों में आज तक महिला कलाकारों ने मंच पर मंचन तो किया, लेकिन मंचन कराने की जिम्मेदारी आज तक किसी महिला को नहीं दी गई। इस बार मंचन कराने के लिए दिल्ली से महिला निर्देशक को बुलाया गया है। इस बार का मंचन पिछले वर्षो से खास है।