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    नई दिल्ली। 

    पूर्व विदेश सचिव व देश के मौजूदा विदेश मंत्री एस जयशंकर और इतिहासकार रामचंद्र गुहा के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर जंग छिड़ी हुई है। दरअसल, विदेश मंत्री जयशंकर ने वीपी मेनन की जीवनी का विमोचन किया, जिसे इतिहासकार नारायणी बसु ने लिखा है। उन्होंने इस किताब के हवाले से ट्वीट किया, 'नेहरू 1947 में पटेल को अपनी कैबिनेट में नहीं चाहते थे और उन्होंने कैबिनेट की शुरुआती लिस्ट में से उनका नाम हटा दिया था।' 

    विदेश मंत्री के इस ट्वीट का जवाब देने के लिए इतिहासकार रामचंद्र गुहा आगे आए और उन्होंने लिखा कि यह एक मिथक है, जिसे प्रोफेसर श्रीनाथ राघवन विस्तारपूर्वक लेख लिखकर झूठा साबित कर चुके हैं। गुहा ने आगे विदेश मंत्री को नसीहत देने के अंदाज में लिखा, 'फेक न्यूज और आधुनिक भारत के दो निर्माताओं के बीच दुश्मनी की झूठी बातें फैलाना विदेश मंत्री का काम नहीं है, आपको ये चीजें भाजपा आईटी सेल के लिए छोड़ देना चाहिए।'

    Dr. S. Jaishankar
     
    @DrSJaishankar
     

    Released an absorbing biography of VP Menon by @narayani_basu. Sharp contrast between Patel's Menon and Nehru's Menon. Much awaited justice done to a truly historical figure.

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    Dr. S. Jaishankar
     
    @DrSJaishankar
     

    Learnt from the book that Nehru did not want Patel in the Cabinet in 1947 and omitted him from the initial Cabinet list. Clearly, a subject for much debate. Noted that the author stood her ground on this revelation.

    Twitter पर छबि देखें
     

    वार-पलटवार का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ। विदेश मंत्री ने रामचंद्र गुहा को जवाब देते हुए लिखा, 'कुछ विदेश मंत्री किताबें भी पढ़ते हैं। हो सकता है कि कुछ प्रोफेसरों को भी यह अच्छी आदत हो। अगर ऐसा है, तो मैं उन्हें सलाह देता हूं कि उस किताब को पढ़ें, जिसका मैंने कल विमोचन किया है।' 

    रामचंद्र गुहा ने इसका जवाब देते हुए लिखा, 'सर, चूंकि आपने जेएनयू से पीएचडी किया है तो निश्चित रूप से आपने मुझसे ज्यादा किताबें पढ़ी होंगी। उनमें नेहरू और पटेल के बीच हुए पत्राचार पर प्रकाशित सामग्री भी होंगी, जो इस बात के दस्तावेज हैं कि नेहरू किस तरह पटेल को अपनी कैबिनेट में सबसे मजबूत स्तंभ के रूप में चाहते थे। उन किताबों को एक बार फिर पढ़िए।'

    Ramachandra Guha
     
    @Ram_Guha
     

    Sir, since you have a Ph D from JNU you must surely have read more books than me. Among them must have been the published correspondence of Nehru and Patel which documents how Nehru wanted Patel as the “strongest pillar” of his first Cabinet. Do consult those books again. 

    Dr. S. Jaishankar
     
    @DrSJaishankar
     

    Some Foreign Ministers do read books. May be a good habit for some Professors too. In that case, strongly recommend the one I released yesterday. 

    इससे पहले जयशंकर ने कहा कि यह किताब 'नेहरू के मेनन' और 'पटेल के मेनन' के बीच के अंतर को बयां करती है। विदेश मंत्री ने कहा कि नारायणी बसु द्वारा लिखी गई पुस्तक के जरिए एक सच्ची ऐतिहासिक हस्ती के साथ बहुप्रतीक्षित न्याय किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक इतिहास लिखने का काम ईमानदारी के साथ किया जाना चाहिए। जयशंकर ने कहा, 'वीपी मेनन ने कहा था कि सरदार पटेल की मृत्यु के उनकी यादों को मिटाने के लिए जानबूझ एक एक कुत्सित अभियान चलाया गया। मैं यह जानता हूं क्योंकि मैंने इसे देखा था और इसका निशाना भी बना था।'